Friday, September 27, 2013

सोचा न था!

इतनी बेरूखी तुमसे हासिल होगी,
सोचा न था,
जिसके बाहों में जिंदगी गुजारने की ख्वाइश रही
अबोला होगा उनसे भी कभी
सोचा न था,
ऐसा अविश्वास तुम्हे हमपर होगा
तार-तार खींच उठेंगे
सोचा न था,
मुझसे एक पल की दूरी तुम्हे मंजूर न थी
उम्र भर के लिए अकेला छोड़ोगे
सोचा न था,
जिन आंखों में मेरे बसते थे तुम सुब-हो-शाम
उनमें ही आंसू भर दोगे
सोचा न था,
हर अलफ़ाज़ मेरे मिश्री-सी लगती थी तुम्हे
ये भी कभी अप्रिय लगेंगे
सोचा न था,
दर्द में भी जिसका नाम तुम्हारी सांसों में था
वो नाम धूमिल होगा कभी
सोचा न था,
मुझे 'जान' कहनेवाला 
इस कदर मेरी जान तिल-तिल लेगा कभी
सोचा न था!  
        - सोनम गुप्ता 

4 comments:

आपकी टिप्पणिया बेहद महत्त्वपूर्ण है.
आपकी बेबाक प्रातक्रिया के लिए धन्यवाद!