इतनी बेरूखी तुमसे हासिल होगी,
सोचा न था,
अबोला होगा उनसे भी कभी
सोचा न था,
ऐसा अविश्वास तुम्हे हमपर होगा
तार-तार खींच उठेंगे
सोचा न था,
मुझसे एक पल की दूरी तुम्हे मंजूर न थी
उम्र भर के लिए अकेला छोड़ोगे
सोचा न था,
जिन आंखों में मेरे बसते थे तुम सुब-हो-शाम
उनमें ही आंसू भर दोगे
सोचा न था,
हर अलफ़ाज़ मेरे मिश्री-सी लगती थी तुम्हे
ये भी कभी अप्रिय लगेंगे
सोचा न था,
दर्द में भी जिसका नाम तुम्हारी सांसों में था
वो नाम धूमिल होगा कभी
सोचा न था,
मुझे 'जान' कहनेवाला
इस कदर मेरी जान तिल-तिल लेगा कभी
सोचा न था!
- सोनम गुप्ता
Awe.....one of the best u hav writen
ReplyDeleteohh...Really...thnx a lot...:)
Deleteअच्छा रचा है /
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सर…
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