वो देशवासी!भारत को देखो,
कैसे इसका रंग है उतरा,
सूना पड़ा है आँगन इसका,
लुट गया है सम्मान जिसका.
शूर - वीर इसके हैं हार रहे,
धरती पर न अभिमान करे,
दुखी है यह माता हमारी,
रक्क्त-रंजित हो रही चुंदरी सारी.
कहती हैं जनक-जननी हमसे,
करता नहीं कोई प्यार मुझसे,
रक्षक ही है भक्षक बन रहे,
ममता को मेरे न समझ रहे.
भाई - भाई यहाँ लड़ रहे,
हिन्दू-मुस्लिम का भेद कर रहे,
दो गज जमीन पाने को,
भाई - चारे को भुला रहें.
प्रेम आपस का है मिट रहा,
कलह का यहाँ जन्म हुआ,
दे रहें कष्ट बेटे माँ को,
उसके गौरव का न ध्यान रहा.
हैं हम उन गोरो से भी निर्दयी,
जिन्होंने ने लूटा था गैरों की माँ को,
हम तो मारे हैं यहाँ अपनो को,
दे रहें दुःख आपनी जननी को.
ओ मेरे प्यारे बंधुओ,
याद करो उस माँ के आँचल को,
जो था साथ प्रति क्षण तुम्हारे,
कैसे भूल गए उसकी ममता को,
जो है हर पल न्योछावर तुम पर.
Wednesday, April 7, 2010
Tuesday, April 6, 2010
वे मेरे पास आयी.
उड़ रहे पंछियों को देखो,
अशांत है आज उनका मन,
रुसवाई का उनके कारण पूछो,
किसके हित हो रहे वे विकल.
पता लगा है अभी-अभी मुझको,
उनकी चिंता का क्या है कारण,
आओ बताये अब हम तुमको,
हुआ है दूर उनका आँगन.
तरु को है मानव ने काटा,
जीवन में एश्वर्य पाने को,
पर छूटा है घर का आटा,
पल-पल फिरे वे दाने को.
पंछियों का हुआ हैं यह हाल,
जीवन बना है उनका दुस्वार,
पलकें भीगा वे मेरे पास आयी,
सारा दुखड़ा मेरे सामने गायी.
रवि की किरणों ने अंग जलाया,
वर्षा की बूंदों ने पंख भिगाया,
ठंडी हवा ने बच्चों को है सताया,
यह सारा किस्सा उन्होंने बताया.
सुन यह पलकें भर मेरी है आयी,
करती हूँ विनंती एक मेरे भाई,
उजाड़ो न तुम इनका जीवन,
बना दो इस धरती को उपवन.
अशांत है आज उनका मन,
रुसवाई का उनके कारण पूछो,
किसके हित हो रहे वे विकल.
पता लगा है अभी-अभी मुझको,
उनकी चिंता का क्या है कारण,
आओ बताये अब हम तुमको,
हुआ है दूर उनका आँगन.
तरु को है मानव ने काटा,
जीवन में एश्वर्य पाने को,
पर छूटा है घर का आटा,
पल-पल फिरे वे दाने को.
पंछियों का हुआ हैं यह हाल,
जीवन बना है उनका दुस्वार,
पलकें भीगा वे मेरे पास आयी,
सारा दुखड़ा मेरे सामने गायी.
रवि की किरणों ने अंग जलाया,
वर्षा की बूंदों ने पंख भिगाया,
ठंडी हवा ने बच्चों को है सताया,
यह सारा किस्सा उन्होंने बताया.
सुन यह पलकें भर मेरी है आयी,
करती हूँ विनंती एक मेरे भाई,
उजाड़ो न तुम इनका जीवन,
बना दो इस धरती को उपवन.
Monday, April 5, 2010
बहा आओ उन पुरानी यादों को.
बहा आओ उन पुरानी यादों को,
भूल जाओ उन बीती बातों को,
पल में सूरज यहाँ उग जायेगा ,
फिर जाना ही होगा काली रातों को.
जो बुरा था कभी बना अपना,
पराया कर दो उन बेगानों को,
समझो वह था एक बुरा सपना,
न सोचो वह था कभी अपना.
नदी की तेज धार में बहा दो,
सूरज की तप्त किरणों में जला दो,
रखो न पास उन्हें तुम अपने,
उनको अपने हृदय से निकल दो.
साथ न देगा वह आनेवाले कल में,
छोड़ आओ उन्हें उस बीते पल में,
न देखो मुड कर उन्हें तुम कभी,
समय है अभी भी दिन ढलने में.
अपना लो उन नई किरणों को,
पनाह दो उन नई उमंगो को,
फिर देखो उस प्यारे साथी को,
देगा साथ तुम्हारा हर पल में जो.
भूल जाओ उन बीती बातों को,
पल में सूरज यहाँ उग जायेगा ,
फिर जाना ही होगा काली रातों को.
जो बुरा था कभी बना अपना,
पराया कर दो उन बेगानों को,
समझो वह था एक बुरा सपना,
न सोचो वह था कभी अपना.
नदी की तेज धार में बहा दो,
सूरज की तप्त किरणों में जला दो,
रखो न पास उन्हें तुम अपने,
उनको अपने हृदय से निकल दो.
साथ न देगा वह आनेवाले कल में,
छोड़ आओ उन्हें उस बीते पल में,
न देखो मुड कर उन्हें तुम कभी,
समय है अभी भी दिन ढलने में.
अपना लो उन नई किरणों को,
पनाह दो उन नई उमंगो को,
फिर देखो उस प्यारे साथी को,
देगा साथ तुम्हारा हर पल में जो.
साथी,है मिल गया.
इस तनहा सुनी राह में,
साथी है मिल गया,
जीने के न कोई अरमान थे,
एक लक्ष्य है मिल गया.
साथ खुशकर दे मन को,
तड़पे दिल तुम्हारे साथ को,
चाहत है तुम्हारा साथ हो.
किन्तु होठों पर न आते शब्द ,
देखकर तुमको हो जाते स्तब्ध,
कहना है बहुत कुछ तुमसे,
पर न खुल पाते यह लब्ज.
कह नहीं सकते कुछ हम,
मजबूर है संसार के बन्धनों से,
लिख रहे है धडकनों को हम,
अपने दिल के शब्दों से.
साथी है मिल गया,
जीने के न कोई अरमान थे,
एक लक्ष्य है मिल गया.
तुम्हारा चेहरा निगाहों में,
समा चुका है साँसों में,
पल-पल तुम्हारी प्यारी बातें,
गूँजे हमारे कॉनो में.
दूरी दुखीकर दे उर को,समा चुका है साँसों में,
पल-पल तुम्हारी प्यारी बातें,
गूँजे हमारे कॉनो में.
साथ खुशकर दे मन को,
तड़पे दिल तुम्हारे साथ को,
चाहत है तुम्हारा साथ हो.
किन्तु होठों पर न आते शब्द ,
देखकर तुमको हो जाते स्तब्ध,
कहना है बहुत कुछ तुमसे,
पर न खुल पाते यह लब्ज.
कह नहीं सकते कुछ हम,
मजबूर है संसार के बन्धनों से,
लिख रहे है धडकनों को हम,
अपने दिल के शब्दों से.
सात सुर
जब सात सुरों का साथ नहीं,
जीवन में कोई बात नहीं.
जीवन का अंश है सात सुर ,
नव जीवन की उमंग है यह सुर.
शब्द भिन्न है अर्थ एक है,
सुख-दुःख पर टिप्पणी कहत है.
लघु- उच्च सब मिलकर गाते,
जीवन की परिभाषा बतलाते.
कवि उच्च भावों से रचते,
अपने हृदय की वेदना तजते.
व्यर्थ की रचना नहीं इसकी,
जीवन में कोई बात नहीं.
जीवन में कोई बात नहीं.
जीवन का अंश है सात सुर ,
नव जीवन की उमंग है यह सुर.
शब्द भिन्न है अर्थ एक है,
सुख-दुःख पर टिप्पणी कहत है.
लघु- उच्च सब मिलकर गाते,
जीवन की परिभाषा बतलाते.
कवि उच्च भावों से रचते,
अपने हृदय की वेदना तजते.
व्यर्थ की रचना नहीं इसकी,
मोल-अनमोल है सात सुरों के.
जब सात सुरों का साथ नहीं,जीवन में कोई बात नहीं.
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