Sunday, October 12, 2014

मेरी सोसायटी में स्वच्छता अभियान


- सोनम गुप्ता


         सुबह-सुबह नींद किसी पुराने गाने की संगीत से खुली। आंख मचमिचाते हुए जब खिड़की के बाहर नजर पड़ी तो देखा सोसायटी में स्पीकर लगा है और सोसायटी के कुछ सदस्य वहां जमा हैं। मैं चौंक गई और सोचने लगी कि आज न तो 15 अगस्त है और न 26 जनवरी। फिर ये क्या? मुझे लगा कि कहीं सार्वजनिक छुट्टी के दिनों में कोई एक और इजाफा तो नहीं हो गया। खैर, दौड़कर किचन में गई और मम्मी से पूछा तो उन्होने बताया कि आज हमारी सोसायटी में स्वच्छता अभियान है।  मेरी नींद जो अब तक आधी-अधूरी खुली थी, वह पापा को स्वच्छता अभियान में जाने के लिए तैयार होता देखकर तो पूरी खुल गई।  
         तो जैसा कि तय था हमारी सोसायटी में सफाई अभियान शुरू हुआ। कुछ 8-10 सदस्यों ने शुरूआत की। सब ने मुंह पर मास्क लगाया, हाथ में दस्ताने पहने और शुरू हो गई सफाई। पहले सीढि़यों फिर पेड़-पौधों के बीच फिर देखते ही देखते सोसायटी की सड़कों तक झाड़ू ही झाड़ू दिखने लगे। आधे घंटे के भीतर ये 8-10 लोगों का समूह 20 लोगों का बन गया। 
          अपने हाथों से या अपने बच्चों द्वारा कल फेंके गए कूड़े- कचरें को सभी मोदीजी के स्वच्छता अभियान के तहत  आज साफ कर रहे थे। जिसे कल यदि इन्होने कूड़ेदान में फेंक दिया होता, तो शायद सफाई अभियान की नौबत ही नहीं आती। क्योंकि न रहेगा कूड़ा न होगी सफाई। खैर, सफाई अभियान में सब ने बहुत सच्चे मन और पूरी ईमानदारी से हिस्सा लिया। 
          सबसे देखने योग्य तो वो छोटे-छोटे मासूम बच्चे थे, जिन्होने केवल दस्ताने पहनने की लालच में सफाई अभियान में हिस्सा लिया था। वे झुंड में यहां-वहां गिरे पड़े टूटी टहनियों को ऊठाकर पूरे सोसायटी में घसीट कर सफाई अभियान का आनंद ले रहे थे। उनके लिए सफाई अभियान के मायने शायद दस्ताने और अपनी हाईट से भी ऊंची झाड़ू को घसीटने तक था। लेकिन हमारे लिए इस सफाई अभियान के मायने क्या हैं, ये सोचना बेहद जरूरी है। क्या सिर्फ  किसी संडे को अचानक उठकर झाड़ू लगाने तक या सड़कों पर पोस्टर व बैनर दिखाकर उन्हे उसी सड़क के किनारे फेंक देने में ही हमारी सफाई है। 
          सफाई अभियान हर रोज, प्रतिदिन हर समय निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है। जिसमें हमें हर समय दो झाड़ू लेकर खड़े रहना होगा। पहला झाड़ू अपने विचारों और मन की सफाई के लिए और दूसरा पर्यावरण में गंदगी फैलाने से अपने आप को और अपने दोस्तों और परिवार को रोकने के लिए। चलती ट्रेन से चिप्स के पैकेट, वाशी ब्रिज से हार-फूल की रंगीन झिल्लियां, सिगरेट, आईसक्रिम खाकर डिब्बे व स्टीकस् सड़कों पर फेंकना, जगह-जगह पर लाल रंग की पिचकारियां छोड़ना, गाड़ी की खिड़की खोलकर बोतल और अन्य कूड़ा कचरा सड़क के हवाले करना, आदि-आदि छोटे-बड़े  हमारी गंदगी फैलाने के कदमों पर झाड़ू लगाना बहुत जरूरी है। तब ही सही मायनों में सफाई अभियान सफल हो सकेगा। 
       

सोसायटी के सक्रिय सदस्य जिन्होंने स्वच्छता अभियान में हिस्सा लिया 


नायर अंकल इस अभियान के सबसे वरिष्ठ सदस्य 

नन्हे-नन्हे कदम सफाई की ओर