Sunday, April 8, 2012

चल कही दूर चले




मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
हाथ बढा और थाम ले मुझे,
अपना-सा नहीं अपना बना ले मुझे,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
इस खुदगरजी दुनियां को भूल चले,
नयी दिशा में, नयी उमंग के साथ,
अपनी नयी मंजिल की ओर बढ़े,
चल कहीं दूर चले,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
तम संगिनी बन,
नव उम्मीदों के संग,
सपनो की नगरी में सैर करे,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
मेरे माथे पर होगी कभी शिकन
चूँकि पसंद नहीं तुम्हे मेरे पलकों की नमी,
संग मुस्कुराने का सच्चा वादा करें,
चल कही दूर चले,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
बढ चले उस नगरी की ओर,
जहां अतीत का साया तक हो,
एक-दूजे के दामन में खुशियां भरें,
चल कहीं दूर चले,
चल कहीं दूर चले,
नैनों की निशब्द भाषा में.
सुनहरे एहसासों की,
अपनी एक नयी कहानी रचे,
चल कहीं दूर चले,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,

4 comments:

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  2. woh pyaara saathi jaroor gatha hoga..""Chalo Tumko Lekar Chale .....Hum Un Fizao Mein.....
    Jahan Meetha, Nasha ,Hai Taaron Ke Chaaon Mein.""...:)

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  3. weldone job.. keep it up.. very nice creation with imagination thought.. :)

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    1. Nitzzy aur Shivkant Agrahari ka bahut-bahut dhanywad kavita par apni pratikriya dene ke liye..:)

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आपकी टिप्पणिया बेहद महत्त्वपूर्ण है.
आपकी बेबाक प्रातक्रिया के लिए धन्यवाद!