Sunday, February 12, 2012

पहले दर्जे में पहला दिन

एक महीने तक तबियत ख़राब रहने के बाद जब नौकरी पर पुनः जाने का सोचा तो मां को यात्रा की चिंता होने लगी.
भीड़-भाड़ में बेटी के स्वास्थ के बिगड़ने का डर उन्हें सताने लगा. तब सलाह-मशवरह से यह निश्चित किया गया कि मैं ३ महीनो तक रेल के पहले दर्जे के डिब्बे में सफ़र करू. अब ३ महीने इसलिए क्योंकि ३ महीनो का पास एक साथ निकलवाने से विशेष छुट मिलने की जानकारी थी. भाई ने बड़े प्रेम से पास निकलवाने की जिम्मेदारी ली. मैंने पैसों के बारें में सोचते हुए उसे बार- बार हिदायत दी कि यदि ज्यादा कीमत हो, छुट न हो तो न निकालना. पर भाई और मां का प्यार मेरी पैसों की चिंता से बड़ा था और उन्होंने १ महीने के लिए मेरे न कहने पर भी पहले दर्जे का पास बगैर छुट के बनवा दिया. मैं मन ही मन कोसने लगी कि इतने पैसों में तो मेरे ३ महीनो का पास बन जाता...थोडा नोक-झोंक करने के बाद मैंने सोचा अब इस बात पर विवाद कर कुछ फायदा नहीं...चलो अच्छा है पहली दर्ज़ा में सफ़र करने का भी मजा उठाया जाये और कुछ नए अनुभवों से मिला जाये. इसी सोच और जिघ्यासा को लिए मैं स्कूल के बाद कई वर्षो के अन्तराल पर पहली दर्ज़ा में सफ़र करने के लिए निकल पड़ी. ट्रेन आई और मैं उसमें चढ़ कर चूँकि सारे सीट (जो मुश्किल से २० लोगों के बैठने के लिए थे )भरे थे इसलिए सीट की ओर लाचारी से निहारने लगी. इसके अलावा और कोई विकल्प भी नहीं था. थोड़ी देर में एक महिला सीट पर से उठी और उसकी सीट पर झट से दूसरी पास खड़ी महिला बैठ गयी, जबकि वह सीट पहले से ही किसी और खड़ी महिला ने चड़ते ही आरक्षित कर रखी थी. अब क्या था मैंने सोचा बड़ा मजा आयेगा पहले ही दिन कुछ नया देखने मिलेगा...उच्च वर्गीय महिलायों के बीच झगडा देखने का इस से सुन्दर अवसर कहा मिलेगा. लेकिन यह क्या मेरी सारी उम्मीदों पर पानी फिरने में चंद पल लगे. जिस महिला ने पहले से ही सीट आरक्षित कर रखा था उसने बैठी महिला की ओर तुच्छ निगाहों से घूरा और उस बैठी महिला ने घुटनों पर हाथ रखते हुए मूक रूप से लाचारी व्यक्त की और बात वहीँ निपट गयी. न कोई सवाल, न जवाब, कोई विवाद ही खड़ा नहीं हुआ. बस इशारों में ही मसला सुलझ गया. खैर मेरी उच्च वर्गीय महिलायों के बीच झगडा देखने की अभिलाषा पर तो पानी फिर गया लेकिन डिब्बे में छायी शांति को देख मन को बड़ी ख़ुशी हुई.


2 comments:

  1. story was nice ....kaaash thoda aur masala hotha 1st class ke train ka dard hotha.......waise i enjoyed it....:)

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए ...मैंने अपने अनुभव को लिखने का प्रयत्न किया...फिर भी मैं आपकी टिप्पणियों पर विशेष ध्यान दूंगी...
    :)

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आपकी टिप्पणिया बेहद महत्त्वपूर्ण है.
आपकी बेबाक प्रातक्रिया के लिए धन्यवाद!