Monday, May 9, 2011


वह अद्वितीय चेहरा

       ट्रेन में बहुत ज्यादा भीड़  थी... बैठने भर की जगह तो आराम से मिल गयी.इससे आरामदायक बात और क्या हो सकती थी.  मैं अक्सर सफ़र में किताबें या अख़बार पड़ती हूँ. अगर इनका साथ  हो तो कम्पार्टमेंट में सफ़र कर रहे बाकि सवारियों का निरीक्षण करना दिलचस्प व् मजेदार होता है. दुर्भाग्यवश, उस दिन मेरे पास  तो अख़बार था और  ही किताब...नज़रों की सीमारेखा के बीच पड़ने वाली सारे विज्ञापनों को पढ़ लिया... अब क्या करती... तब ही एक स्टेशन पर बड़ा -सा झुडं मेरे कम्पार्टमेंट में चड़ा. उस दौड़ती-भागती भीड़ में एक महिला ऐसी थी जो उन सब से अपने अनूठे रूप के कारण अलग जान पड़ रही थी...वह मेरी सामनेवाली सीट पर आकर बैठ गयी. उसे देखते ही मन प्रसन्न हो गया. उसका सादगी से भरा सुन्दर दमकता चेहरा,  लम्बी जुल्फे...माथे पर लगा लाल रंग का सिंदूर...जो उसके चांदी जैसे रंग को और भीनिखार रहा था. उस कांतिवान युवती ने जींस और हलके लाल रंग का कुर्ता पहन रखा था.कुछ पल के लिए तो मैं उसपर से अपने नज़रों को हटा ही  पायी. लेकिन जैसे ही उसकी नजर मेरी नज़रों से मिली मैंने अपनी नजर को झुका लिया...और  किसी चोर की तरह तिरछी निगाहों से उसकी ओर देखने लगी. ऐसा न था की उससे खुबसूरत रूप मैंने कभी न देखा पर उस स्त्री में एक अलग- सा आकर्षण था. कल्पनात्मक और रचनात्मक दृष्टी से देखने से उसकी सुन्दरता मुझे अपनी ओर खिचती-सी महसूस हो रही थी. स्वार्थी मन में ऐसा विचार आया कि काश यह मेरी बहन होती या मेरी भाभी. कुछ समय बिता फिर भी मेरा सारा ध्यान उस स्त्री ने अपनी ओर आकर्षित कर रखा था. मैं साधारणतः संसार की खूबसूरत रचनाओं की तारीफ करने से कभी नहीं चुकती. फिर चाहे वह इंसान हो या फिर उसकी बनायीं कोई रचना. मन में तो आया कि उसके इस अद्वितीय रूप की स्तुति मैं अभी उसके समक्ष कर दू...और कह दू की अपना ख्याल रखियेगा. आप बहुत भाग्यशाली है. ईश्वर बेहद कम लोगों को ऐसा रंग और रूप देता है पर हिम्मत न हुई. न जाने मेरे इस व्यवहार का वो क्या मतलब निकाले. मेरा स्टेशन आया और मैं उतर गयी. स्टेशन से लेकर घर तक के रास्ते भर उसका आकर्षक चेहरा मेरी नज़रों के सामने थाघर पहुचने पर दुसरे कामों में व्यसतता के कारण मैं कुछ पलों के लिए उस सुन्दर रूप को भूल गयी थी. पर रात को बिस्तर पर लेटते ही उस चेहरे ने मेरे मन के दरवाज़े पर फिर से दस्तक दी... और सोचने लगी की ईश्वर ने कितने फुर्सत में उस मनमोहक मूर्ति को रचा होगा...उसके माता-पिता उस जैसी सुन्दर कन्या पाकर खुद को कितने भाग्यशाली समझते होंगे...और  जाने क्या-क्या... गौरतलब था कि दो पल के लिए भी मुझे उस मन्दाकिनी से इर्ष्या  हुई. आश्चर्य था कि, एक महिला भी किसी दूसरी महिला को इस कदर आकर्षित कर सकती है. 
        समय बिता और धीरे-धीरे वह चेहरा समय के साथ मेरी यादों से धूमिल होता गया...लेकिन शायद उस स्त्री से बात करने की मेरी अभिलाषा बेहद गहरी और सच्ची थी. मैं गर्मियों की छुट्टियों में इन्टरनशीप करने के लिए दैनिक जागरण के दफ्तर पहुच गयी. वहां मेरा बेहद छोटा-सा इंटरवीव हुआ…उसके बाद मुझे एक सुलझी हुई और शांत स्त्री को सौंपा गया. जो मुझे अपनी बेटी की तरह प्यार और दुलार से समझाते हुए अपने डेस्क तक ले गयी. वहां पहुचते ही मेरे चेहरे पर एक अलग प्रकार की रोशनी प्रकाशमय हुई और मैं आश्चर्य के भाव से भर गयी. वह स्त्री जिसने अपने रूप से मुझे मोह लिया था...वह मेरे सामने खड़ी थी और वह मुझसे कुछ कह रही थी. मैं उसके किसी भी सवाल का जवाब देने में खुद को असमर्थ पा रही थी. क्योंकि मैं तो इस विचार में खोयी हुई थी की यह दुनियां कितनी छोटी है. आज विश्वास हो गया की माँ सही कहती है यह दुनिया गोल है. उस आकर्षक स्त्री का नाम मीनाक्षी है.
        आज मैं उनके साथ बैठ कर जी भर के बातें करती हु और साथ ही साथ उनके रूप की तारीफ भी. उसके रूप की तरह उसका व्यवहार भी बेहद आकर्षक और मनमोहक है.
                                          
                                                 -सोनम प्र. गुप्ता 

9 comments:

  1. kya baat hai.....sonam...lagta hai Minakshi se tumhara kismat connection hai :-)

    ReplyDelete
  2. thank u sonam mere baare main itni saari acchi baatein likhne ke liye...... waise jis khubsoorati se tumne is article ko likha hai usse logo ki prati tumhari acchi soach aur sunder maan ko darshata hai.... jo quality kuch hi logo main hoti hai.... hamesha yuhi muskuraati rahoo... thanks once again :)

    ReplyDelete
  3. ye connection kamaal ka hai.....

    ReplyDelete
  4. आप सभी के प्रतिक्रियायों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
    अच्छा लगा यह जानकर की मीनाक्षीजी को यह लेख पसंद आया.
    @ सौम्या मैम... किस्मत कनेक्शन का तो पता नहीं लेकिन हाँ कनेक्शन जरुर है...:)

    ReplyDelete
  5. wah u r truely geneius yaar maja aa gaya pad ke and pata bhi chal gaya ki duniya kitni choti hai and i hope future me aur kuch accha padane mile god bls u.

    ReplyDelete
  6. THx a lot for such a nice response...:)

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणिया बेहद महत्त्वपूर्ण है.
आपकी बेबाक प्रातक्रिया के लिए धन्यवाद!