बहुत परिश्रम हैं अभी करना,
तब कही आगे होगा बढना,
मुश्किल हैं यह रहे बड़ी,
कुशलता से हर कदम को धरना,
पहले राह तो चुन लो प्यारे,
दिन में दिखेंगे नहीं तो तारे,
जुटे यहाँ पर घिस जायेंगे,
खाने के भी पड़ेंगे लाले.
चिंता यूँ तुम पर हावी होगी,
प्रश्नों की न कोई चाभी होगी,
उलझे रहोगे तुम इस जालें में,
कुछ नहीं सिर्फ बर्बादी होगी.
निश्चय कर लो क्या हैं करना,
तुमको क्या हैं को बनना,
सोचना न कभी राह में रूककर,
वरना होगा चिंता में घुटना.
एक लक्ष्य लेकर तुम बड़ों,
संसार के जहेमेले में न पदों,
तीव्र दृष्टि मंजिल पर रखो,
मुश्किल से फिर तुम लड़ों.
निश्चय हो यदि जंग जितने की,
न होगा तुम्हे कोई पराजित करनेवाला,
देख तुम्हारे शोर्य, धैर्य, बुधिमत्ता को,
दुश्मन तुम्हारा हैं तुमसे डरनेवाला.
बहुत सुन्दर प्रयास कर रहीं हैं आप.. बधाई स्वीकारें
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