- सोनम गुप्ता
एक बार
फिर खिलवाड़ और अब एक और फरमान जारी- "अकेली कहीं नहीं जाना।" टैक्सी, बस,
ऑटो, ट्रेन कुछ भी सुरक्षित नहीं। इसलिए अब अकेले मत निकलना। भैय्या, चाचा,
काका, मामा को साथ लेकर चलना। तुम्हे रोका जा सकता है। उन्हें रोकना गलत
है। तुम मत निकलो। वो धड़ल्ले से सड़क पर निकलते रहेंगे, तुम्हे छेड़ते हुए,
तुम्हारे कपड़ों को नापते हुए, सीटी बजाते हुए, तुम्हे देखकर अपने
गुप्तांगों पर हाथ फिराते हुए...वे आज चौराहों पर मटरगस्ती करते मिलेंगे और
आनेवाले कई दशकों तक भी वहीं मिलेंगे। तुम, हाँ तुम, तुम्हारे ही कारण
बलात्कार होता है। तुम्हारे ही अंग को देखकर वो सीधे-साधे लड़के बिगड़ कर
अचानक ही बलात्कारी बन जाते हैं। गलती तुम्हारी है। तुम बदलो। कपड़े बदलो,
ढंग बदलो, रंग बदलो, खुद को बदलो। तुम कमरे में सिमटों। सदियों तक फिर-फिर
खोल से निकलो और फिर उसी में घुंस जाओ। भीतर जितना हो सके उतने भीतर धंस
जाओ।
क्या करें, वो आवारा हैं। तुम ही संभल जाओ। वो प्लेटफार्म पर
चढ़ते-उतरते मारते रहेंगे कुहनी, मौका मिलते ही भीड़ में स्तनों से लेकर
गुप्तांगों तक मार देंगे हाथ। तुम तब भी संभल जाना। वे बिगड़ गए हैं तो
क्या। तुम देवी हो, तुम ममता का सागर हो, करुणा की मूर्ति हो, वात्सल्यता
का रूप हो, लक्ष्मी, सरस्वती हो। तुम काली या दुर्गा नहीं बनना। तुम अपनी
बेल्ट निकालकर भीड़ में लड़कों को मत पीटना, उनके चेहरों को मत दबोचना, उनपर
हाथ मत उठाना, छिः गन्दी- गन्दी गालियां तो बिलकुल मत बकना। तुम अच्छी लड़की
बनकर रहना। वे गुड बॉय नहीं बन बन सकते। तुम संस्कारी, गुणी, रानी बिटिया
बनो। वे हैवान बनते हैं तो बनने दो। तुम न उन्हें रोकना, न टोकना, बल्कि
तुम तो अपना पल्लू गले तक चढ़ा लेना। कुर्ते को फुल स्लीव्स का बनवा लेना।
जीन्स को फेंककर ढीली-ढाली सलवार सिलवा लेना। तो क्या हुआ अगर वे चड्ढी
में नलके पर नहाते दिख गए, सड़क पर खुजाते मिल गए, पैंट की जीप लगाना बिसर
गए, तुम अपनी आँखें कसकर मूंद लेना। मत देखना दुपट्टों के पीछे छिपे अंगों
को ताड़ती उनकी नजरे, साड़ी के पार झांकती निगाहें, बुरखे को भी भेद सकनेवाली उनकी भूखी नज़रों को तुम मत देखना।
तुम बनी रहना सिर्फ एक लड़की। खुद के फैसले न ले पानेवाली,
नौकरी से खटकर घर और बच्चों को संभालनेवाली, अंधेरा होने से पहले घर के
भीतर घुसकर दुबकनेवाली, वही गुड गल बने रहना। हम हैं न तुम्हारी सुरक्षा के
लिए। हम सुरक्षा बढ़ा देंगे, कैदखाने बनवा देंगे। तुम उसी में इत्मीनान से
रहना। हम हर उस चीज़ पर बैन लगा देंगे जो तुम्हारे गुड गल बनने के रास्ते
में आएंगे, लेकिन तुम, तुम अकेले मत निकलना। तुम मान, मर्यादा, शोभा हो। वो
कुल का दीपक हैं। अंतर है। बायोलॉजी कहती है अंतर है। तुम बच्चे पैदा कर
सकती हो, वो नहीं। तुम इंसान पैदा हुई, वो नहीं। इसलिए इस अंतर को हमेशा
याद रखना। गांठ बांध रखना। पढ़ाई छोड़ देना, नौकरी छोड़ देना, घूमना-फिरना भूल
जाओ। अंतर है! तुम में और उनमे। इसलिए तुम जीना छोड़ दो, चलना छोड़ दो,
उड़ना छोड़ दो। वे पकड़े जाएंगे, फिर छूट जाएंगे, उड़ जाएंगे, एक और जान दबोच
खाएंगे, लेकिन बंदिश कभी नहीं...कभी भी नहीं पाएंगे। इसलिए तुम ही सिमट
जाओ, रुक जाओ, बदल जाओ और अगर न कर सको तो मर जाओ। अच्छी लड़की उर्फ़ कैद |