चार पहियावाले ने देखा,
दो पहिया सवार ने देखा,
देखा उसके दोस्त ने,
दिखाया बगलवाले को,
बस में सवार लोगो ने,
सड़क पर पड़े उन देहों को,
जो कुछ देर पहले,
सवार थे दो पहियों पर,
देखकर उन्हें,
कुछ की गति धीमी हुई,
झांका इंसानियत के शीशों से,
फिर उनकी इंसानियत,
ख़त्म हो गयी,
और बढ़ गयी,
पहियों की गति,
पड़े थे देह,
आ गए थे,
बड़े पहियों के नीचे,
बिलख रहा था बच्चा,
रो रहा था बाप,
पहियों ने देखा,
कैमरे ने देखा,
लेकिन किसी इंसान ने नहीं देखा,
देखते ही देखते,
सबके देखने में,
दो देह लाश में तब्दील हो गए,
वह सब देखनेवाले मर गए।
- सोनम प्र. गुप्ता