Sunday, April 8, 2012

चल कही दूर चले




मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
हाथ बढा और थाम ले मुझे,
अपना-सा नहीं अपना बना ले मुझे,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
इस खुदगरजी दुनियां को भूल चले,
नयी दिशा में, नयी उमंग के साथ,
अपनी नयी मंजिल की ओर बढ़े,
चल कहीं दूर चले,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
तम संगिनी बन,
नव उम्मीदों के संग,
सपनो की नगरी में सैर करे,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
मेरे माथे पर होगी कभी शिकन
चूँकि पसंद नहीं तुम्हे मेरे पलकों की नमी,
संग मुस्कुराने का सच्चा वादा करें,
चल कही दूर चले,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,
बढ चले उस नगरी की ओर,
जहां अतीत का साया तक हो,
एक-दूजे के दामन में खुशियां भरें,
चल कहीं दूर चले,
चल कहीं दूर चले,
नैनों की निशब्द भाषा में.
सुनहरे एहसासों की,
अपनी एक नयी कहानी रचे,
चल कहीं दूर चले,
मेरे प्यारे साथी,
चल कहीं दूर चले,