- सोनम गुप्ता
क्यों पीरियड्स है इतना अछूत-सा शब्द
माना नहीं है कोई सुन्दर चीज़
ना ही है कोई मजेदार घटना
लेकिन गन्दी बात भी नहीं है पीरियड्स,
ना हूं विज्ञान विशेषज्ञ और ना ही कोई धर्म जानकार
लेकिन कह सकती हूं पूरे विश्वास से पीरियड्स नहीं है
कोई छिपानेवाली बात,
जैसे खाना पचकर
पॉटी बनकर शरीर से निकलता है
जैसे पानी पसीना बनकर रिसता है
द्रव मूत्र बनकर निकलता है
वैसे ही
एक नष्ट हो चुके अंडे के शरीर से बाहर निकलने की प्रकिया है पीरियड्स
एक आम उत्सर्जन प्रक्रिया!
क्या पसीना आने के बाद
अचार छूना वर्जित है?
क्या पॉटी जाने के बाद हम मंदिर नहीं जाते?
क्या टॉयलेट से आने के बाद
हमारा बिस्तर अलग कर दिया जाता है?
तब क्यों पीरियड्स के वक्त
मैं रसोई में नहीं जा सकती?
क्यों अपने बिस्तर पर नहीं सो सकती?
क्यों अपना जन्मदिन नहीं मना सकती?
क्यों नहीं कर सकती वह सबकुछ
जो मैं महीने के बाकी 25 दिन करती हूं!
माना नहीं है कोई सुन्दर चीज़
ना ही है कोई मजेदार घटना
लेकिन गन्दी बात भी नहीं है पीरियड्स,
ना हूं विज्ञान विशेषज्ञ और ना ही कोई धर्म जानकार
लेकिन कह सकती हूं पूरे विश्वास से पीरियड्स नहीं है
कोई छिपानेवाली बात,
जैसे खाना पचकर
पॉटी बनकर शरीर से निकलता है
जैसे पानी पसीना बनकर रिसता है
द्रव मूत्र बनकर निकलता है
वैसे ही
एक नष्ट हो चुके अंडे के शरीर से बाहर निकलने की प्रकिया है पीरियड्स
एक आम उत्सर्जन प्रक्रिया!
क्या पसीना आने के बाद
अचार छूना वर्जित है?
क्या पॉटी जाने के बाद हम मंदिर नहीं जाते?
क्या टॉयलेट से आने के बाद
हमारा बिस्तर अलग कर दिया जाता है?
तब क्यों पीरियड्स के वक्त
मैं रसोई में नहीं जा सकती?
क्यों अपने बिस्तर पर नहीं सो सकती?
क्यों अपना जन्मदिन नहीं मना सकती?
क्यों नहीं कर सकती वह सबकुछ
जो मैं महीने के बाकी 25 दिन करती हूं!
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