स्वर्ग है चरणों में जिसके,
सफलता है स्पर्शो में जिसके,
ममता हैं आँचल में जिसके,
करुणा हैं आँखों में जिसके.
इतना दर्द , इतना भाव,
होती नहीं किसी और में,
उसकी चाय में हैं उपवन,
बिन माया सब दुखवन.
पल-पल का एहसास जिसे,
दर्द - दर्द का आभास जिसे,
चाहत की पहचान जिसे,
प्रेम का विश्वास जिसे.
स्नेह का भंडार है छिपा,
वात्सल्यता का आकर बना,
मोह असीमित है उसमें,
भावनाओ का सच्चा रूप हैं उसमें.
अधरों पर होती है दुवा,
श्राप का अर्थ न जाने वो,
जीवन केवल त्याग हैं उसका,
स्वार्थी - जीवन न जाने वो.
क्या मैं बताऊँ उसकी पहचान,
बच्चों में है उसकी जान,
शब्द नहीं वर्णन में उसके,
सफलता है स्पर्शो में जिसके,
ममता हैं आँचल में जिसके,
करुणा हैं आँखों में जिसके.
इतना दर्द , इतना भाव,
होती नहीं किसी और में,
उसकी चाय में हैं उपवन,
बिन माया सब दुखवन.
पल-पल का एहसास जिसे,
दर्द - दर्द का आभास जिसे,
चाहत की पहचान जिसे,
प्रेम का विश्वास जिसे.
स्नेह का भंडार है छिपा,
वात्सल्यता का आकर बना,
मोह असीमित है उसमें,
भावनाओ का सच्चा रूप हैं उसमें.
अधरों पर होती है दुवा,
श्राप का अर्थ न जाने वो,
जीवन केवल त्याग हैं उसका,
स्वार्थी - जीवन न जाने वो.
क्या मैं बताऊँ उसकी पहचान,
बच्चों में है उसकी जान,
शब्द नहीं वर्णन में उसके,
'माँ' हैं हम उसको कहते.
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