चार
राज्यों और एक केंद्र शाषित प्रदेश के विधानसभा चुनाव में दो राज्यों में
महिलाओं के नेतृत्ववाली पार्टी ने जीत हासिल की है। राजनीति में ऊपरी पदों
पर महिलाओं की संख्या और स्थिति दोनों ही सोचनीय है। ऐसे में तमिलनाडु और
पश्चिम बंगाल के नतीजे राजनीति में महिलाओं की स्थिति सुधारने में मदद कर
सकते हैं। ममता बैनर्जी ने जहां लोगों के बीच रहकर अपनी साख मजबूत की है।
वहीं जयललिता के प्रशंसकों की बड़ी संख्या है और उनकी योजनाएं उनकी पहचान।
दो बड़े और प्रमुख राज्यों की कमान महिलाओं के हाथ में आ गई है। उल्लेखनीय
है कि ममता और जयललिता राजनीतिक पपेट न होकर अपने बूते पर चुनाव जीतनेवाली
राजनेता हैं।
भारतीय राजनीति के इन दो बड़े चेहरों में एक
समान बात है कि दोनों ने ही शादी नहीं की है। लेकिन जयललिता अपने महंगे और
आलीशन रहन-सहन के लिए आए दिन सुर्ख़ियों में रहती हैं, वहीं ममता कॉटन की
साड़ी पहननेवाली, सादगीपसंद नेताओं में से एक हैं। दोनों ही नेताओं को लिखने
और पढ़ने का काफी शौक है। 32 सालों में पहली बार तमिलनाडु में कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है। जयललिता से उम्मीदें बढ़ गईं हैं। ममता भ्रष्टाचार के आरोपों से अपने दम पर बाहर आई हैं और खुद को दांव पर लगाकर अपनी पार्टी की झोली में ये शानदार जीत डाली है।
फिलहाल भारत के तीन राज्यों गुजरात में आनंदीबेन पटेल, राजस्थान में वसुंधरा राजे, जम्मू और कश्मीर में मेहबूबा मुफ़्ती मुखयमंत्री के पद पर आसीन हैं। आज के चुनाव नतीजों के बाद जल्द ही इस सूची में दो और नाम जुड़ जाएंगे। उम्मीद यही है कि ये पंच भारतीय राजनीति में महिलाओं की स्थिति को सुधारने और उनकी छवि को सशक्त करने में सफल होंगी।
जयललिता और ममता बैनर्जी |
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