दैनिक जागरण की ब्लॉग पर प्रकाशित मेरा सबसे पहला लेख...जो सौम्या अपराजिताजी की सहायता के बगैर लिख पाना नामुमकिन था...
आकर्षक व्यक्तित्व के धनी: जॉय मुखर्जी
जन्मदिन: 27 फरवरी
हिंदी फिल्मों के आकर्षक अभिनेताओं में शुमार जॉय मुखर्जी को फिल्मी पृष्ठभूमि उनके पिता शशिधर मुखर्जी से विरासत में मिली। उन्होंने विरासत में मिली अभिनय प्रतिभा को निखारा-संवारा और धीरे-धीरे वे 60 के दशक के लोकप्रिय अभिनेताओं की सूची में शामिल हो गए।
महिला प्रशंसकों के चहेते जॉय मुखर्जी के फिल्मी कॅरिअर की शुरूआत पिता शशिधर के होम-प्रोडक्शन की फिल्म लव इन शिमला से हुई। 1960 में बनी यह फिल्म जॉय मुखर्जी और सह-अभिनेत्री साधना के लिए अत्यंत सफल साबित हई। लव इन शिमला में देव की भूमिका में जॉय के अभिनय की बेहद सराहना हुई। 1964 और 1966 में उन्होंने दो और सफल फिल्में दीं-जिद्दी और लव इन टोकियो।
उन्होंने बहुत ही कम अवधि में अनेक फिल्मों में अपने अभिनय का परचम लहराया। आशा पारेख, ाधना, माला सिन्हा और सायरा बानो जैसी सुप्रसिद्ध व सफल अभिनेत्रियों के साथ उनकी रोमांटिक जोडि़यां बेहद पसंद की गई। 1963 में बनी फिल्म फिर वहीं दिल लाया हूं जॉय मुखर्जी के कॅरिअर की उल्लेखनीय फिल्म रही जिसमें उन्होंने अपने कॅरिअर की सबसे यादगार भूमिका निभायी। देखते-ही-देखते जॉय सफलता की बुलंदियों पर पहुंच गए। वक्त बीतता गया और धर्मेद्र, जितेंद्र, राजेश खन्ना जैसे अन्य अभिनेताओं के उभरने से जॉय मुखर्जी की छवि धूमिल होने लगी। अपनी गिरती लोकप्रियता के मद्देनजर जॉय चुनींदा फिल्में ही करने लगें। उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अपनी कला के प्रदर्शन के साथ-साथ फिल्मों के निर्माण और निर्देशन की ओर भी रूख किया। दुर्भाग्यवश, फिल्म निर्माण-निर्देशन में भी उन्हें सफलता नहीं मिल पायी। फिल्मी कॅरिअर से परे जॉय मुखर्जी ने छोटे पर्दे पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज करायी। 2009 में उन्होंने धारावाहिक ऐ दिल-ए-नादान में अपने अभिनय का प्रदर्शन किया।
जॉय मुखर्जी का परिवार हिंदी फिल्मों में रचा-बसा है। उनके मामा अशोक कुमार और किशोर कुमार की सफलता और लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। उनकी भतीजी काजोल और भांजी रानी मुखर्जी हिंदी फिल्मों का अहम हिस्सा हैं। गौरतलब है कि मुखर्जी परिवार की तीसरी पीढ़ी इस समय हिंदी फिल्मों में सक्रिय है।
जॉय मुखर्जी हिंदी फिल्मों के बेहद सफल अभिनेताओं की सूची में भले ही शामिल नहीं हो पाए हों, पर सिल्वर स्क्रीन के इस रोमांटिक अभिनेता पर फिल्माए गए सुरीले और मधुर गीत आज भी उनके प्रशंसकों के दिलों में गूंजते हैं।
कॅरिअर की मुख्य फिल्में
वर्ष-फिल्म-चरित्र
1960- लव इन शिमला- देव कुमार मेहरा
1960- हम हिन्दुस्तानी- सतेन्द्र नाथ
1962- उम्मीद
1962- एक मुसाफिर एक हसीना
1963- फिर वही दिल लाया हूं
1964- जिद्दी
1964- जी चाहता हैं
1964- इशारा
1964- दूर की आवाज
1964- आओ प्यार करे
1965- बहू बेटी- शेखर
1966- ये जिंदगी कितनी हसीन हैं
1966- साज और आवाज
1966- लव इन टोकियो- अशोक
1966- शागिर्द- राजेश
1968- हमसाया (निर्माता-निर्देशक)
1968- एक कली मुस्कायी
1968- दिल और मुहब्बत- रमेश चौधरी
1969- दुपट्टा
1970- पुरस्कार- राकेश
1970- मुजरिम- गोपाल
1970- इंस्पेक्टर- राजेश
1970- एहसान
1970- आग और दाग
1971- कहीं आर कहीं पार
1972- एक बार मुस्कुरा दो
1977- हैवान
1977- छलिया बाबू (निर्देशक)
1985- इंसाफ मैं करूंगा
No comments:
Post a Comment
आपकी टिप्पणिया बेहद महत्त्वपूर्ण है.
आपकी बेबाक प्रातक्रिया के लिए धन्यवाद!